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मोहब्बत का इरादा बदल जाना बी मुश्किल है
उन्हें खोना बी मुश्किल है और पाना बी मुश्किल है
ज़रा सी बात पर आंखें भिगो कर बैठ जाते है वो
उसे तो अपने दिल का हाल बताना बी मुश्किल है
यहाँ लोगो ने खुद पर इतने परदे दाल रखे है
किसी के दिल में क्या है नज़र आना बी मुश्किल है
मन के ख्वाब में मुलाक़ात होगी उनसे
पर यहाँ तो उसके बिना नींद आना बी मुश्किल है
औरो से क्या गिला अब तो आलम ये हे “हाल -ए- ज़िन्दगी ” खुद को समझाना बी मुश्किल है
इस मुश्किल में जो साथ दे मेरा अब उस हम सफ़र को धुंध पाना बी मुश्किल है
***
में तेरे शहर में आया हू , खुद की महफ़िल सजाने आया हू
तेरे इश्क की इस आंधी में ,खुद को फिर मिटाने आया हू .
में भी तेरा दीवाना हू ,बस यही बात बताने आया हू
तेरे इश्क की मासूमियत में ,खुद को फिर लुटाने आया हू .
मैं भी कितना बांवरा हू ,यह तुझे जताने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की प्यास बुझाने आया हू .
तुम मेरी हो – तुम मेरी हो ,बस यही तुम्हें कहने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की महफ़िल सजाने आया हू
***
चाँद तन्हा है आसमां तन्हा..... चाँद तन्हा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां कहां तन्हा बुझ गई आस छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआँ तन्हा ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा हमसफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे तन्हा तन्हा जलती बुझती सी रौशनी के परे
सिमटा सिमटा सा एक मकां तन्हा राह देखा करेगा
सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहां तन्हा
***
इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है
ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है |
ना खाई ठोकरे वो रह गया नाकाम ,
ठोकरे खाकर सँभलने वाले अनेक हैं |
ना महलों में ख़ामोशी ना फूटपाथ पर ,
क़ब्रिस्तान में ख़ामोशी से लेटे अनेक है |
बहुत चीख़ती है मेरे दिल की ख़ामोशी ,
तन्हाई में ख़ामोशी अच्छी है कहते अनेक है |
रोये थे कभी उसकी याद में अकेले बैठकर,
आँखे मेरी लाल है कहते अनेक है |
***
मुझे अपनी जान बना लो, अपना अहसास बना लो,
मुझे अपने अल्फाज़ बना लो, अपने दिल की आवाज़ बना लो,
बसा लो अपनी आँखों में मुझे अपना ख़्वाब बना लो,
मुझे छुपा लो सारी दुनिया से अपना एक गहरा राज बना लो
आज बन जाओ मेरी मोहब्बत और मुझे अपना प्यार बना लो….
***
जो तुमसे दूर चला गया हैं, उसके लिए क्यों आँसू बहाना
जो अतीत का पन्ना हैं, उसके लिए क्यों अपना वर्तमान गवाना,
जो जब वो बेगाना हैं, उसके लिए क्यों खुद को दिन रात रुलाना,
पर अब वो किसी और के संग हैं, अब वो किसी और की दिल की उमंग हैं
तुम्हारी अच्छाई बहुत अच्छी लगती हैं,
तुम्हारी बुराई बहुत बुरी लगती हैं,
तुम्हारे सौ झूट के आगे हमें तुम्हारी एक बात सच्ची लगाती हैं.
तुम एक बार माफ़ी मांगो,
हम अपने आंसू भुला देते हैं,
दूसरी बार मांगो तो तुम्हारे संग चले आते हैं
हमारी खुद की बाते हमें गलत लगाती हैं,
तुम्हारी सौ गलत बातें भी आंखिर हमें अच्छी लगाती हैं,
तुमसे बिछड कर जीने के लिए जिंदगी कब तैयार हुई
,सिर्फ़ जुदा होने के ख्याल से आँखे नाम हो जाती हैं.
********“दिल की चाहत”****
मेरे दिल की चाहत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
मेरी ज़रूरत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
तुमने तो मुझे कबका भुला दिया,
मेरी आदत कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
तुमने न जाना कितना तुमको प्यार किया,
मेरी इबादत कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
बेखबर बनते हो, खबर हो के भी ,
मेरी किस्मत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
******“तन्हाई”*****
सदिया गुजर गयी किसी को अपना बनाने में,
मगर एक पल भी न लगा उन्हें हमसे दूर जाने में…
लोगो की साजिशों का रंग उनपे ऐसा छाने लगा,
के उसके बाद तो हम उन्हें अपने दुश्मन नज़र आने लगे….
हम फिर भी हस्ते रहे उनके जुल्मों को सह कर भी,
धीरे धीरे उनके सितम सह कर हमें मजा आने लगा……..
जब थक गए हमारी रूह तक को तड़पा कर वों,
तब वो धीरे धीरे हमसे दूर जाने लगे……
ये गम तन्हाई दर्द और यादोँ के साये,
ये सब तोहफ़ा हमनें उनसें ही है पाए….
मेरी ग़लती सिर्फ़ इतनी सी थी के मैं वफ़ादार निकला,
जितने दिल से की उनकी मोहब्बत में उतना ही बड़ा गुन्हेगार निकला….
*******“तेरा वजूद”(****
मैं तो भूल ही गया था तेरे वजूद को ,
पर यह कमबख्त HAWAYAIN तेरी खुशबू फिर लेती आई |
अब जब तेरा जिक्र हो ही गया है
तो सोचता हूं कुछ बोल ही दूं,
अपने दिल से तेरे वजूद के बारे में ,
पर डर लगता है अगर इसे एहसास हो गया
तेरे वजूद का तो खुद को भुला बैठे गा
और खो जाएगा उन सितारों की गलियों में जहां कभी तुम चांद थे
माना तेरा मेरा रिश्ता कुछ खास ना था
फिर क्यों यह दिल तुझे हर एहसासों में पाता है |
क्यों तेरी याद मैं ,मुझे खालीपन भी सुकून दे जाता है |
कैसे रोकूँ धड़कनों को और अंजानी सांसो को,
तेरी खामोशी और कुछ अधूरी मुलाकातों को |
अब सोचता हूं छोड़ दूं भुलाना तेरे वजूद को ,
क्योंकि तेरे होने का एहसास ही मेरे वजूद के लिए काफी है |
फिर मिल जा उन सर्द रातों में जब LAB खामोश थे
क्योंकि खामोशियों की कहानी अभी बाकी है |
फिर तुम मिल उन गलियों में जहां तेरा वजूद ही मेरा वजूद है|
*****
“दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है”
“हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत
अच्छे कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और”
“हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले”
“न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता,
डुबोया मुझको होनी ने, न होता मैं तो क्या होता?”
***********
वादे पे वो ऐतबार नहीं करते,
हम जिक्र मौहब्बत सरे बाजार नहीं करते,
डरता है दिल उनकी रुसवाई से,
और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते।
इस दिल को किसी की आहट की आस रहती है,
निगाह को किसी सूरत की प्यास रहती है,
तेरे बिना जिन्दगी में कोई कमी तो नही,
फिर भी तेरे बिना जिन्दगी उदास रहती है॥
***
मोहबत को जो निभाते हैं
उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं
उनको, हुमारा ये पेघाम हैं,
“वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
*****
मोहब्बत का इरादा बदल जाना बी मुश्किल है
उन्हें खोना बी मुश्किल है और पाना बी मुश्किल है
ज़रा सी बात पर आंखें भिगो कर बैठ जाते है वो
उसे तो अपने दिल का हाल बताना बी मुश्किल है
यहाँ लोगो ने खुद पर इतने परदे दाल रखे है
किसी के दिल में क्या है नज़र आना बी मुश्किल है
मन के ख्वाब में मुलाक़ात होगी उनसे
पर यहाँ तो उसके बिना नींद आना बी मुश्किल है
औरो से क्या गिला अब तो आलम ये हे “हाल -ए- ज़िन्दगी ” खुद को समझाना बी मुश्किल है
इस मुश्किल में जो साथ दे मेरा अब उस हम सफ़र को धुंध पाना बी मुश्किल है
***
में तेरे शहर में आया हू , खुद की महफ़िल सजाने आया हू
तेरे इश्क की इस आंधी में ,खुद को फिर मिटाने आया हू .
में भी तेरा दीवाना हू ,बस यही बात बताने आया हू
तेरे इश्क की मासूमियत में ,खुद को फिर लुटाने आया हू .
मैं भी कितना बांवरा हू ,यह तुझे जताने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की प्यास बुझाने आया हू .
तुम मेरी हो – तुम मेरी हो ,बस यही तुम्हें कहने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की महफ़िल सजाने आया हू
***
चाँद तन्हा है आसमां तन्हा..... चाँद तन्हा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां कहां तन्हा बुझ गई आस छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआँ तन्हा ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा हमसफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे तन्हा तन्हा जलती बुझती सी रौशनी के परे
सिमटा सिमटा सा एक मकां तन्हा राह देखा करेगा
सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहां तन्हा
***
इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है
ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है |
ना खाई ठोकरे वो रह गया नाकाम ,
ठोकरे खाकर सँभलने वाले अनेक हैं |
ना महलों में ख़ामोशी ना फूटपाथ पर ,
क़ब्रिस्तान में ख़ामोशी से लेटे अनेक है |
बहुत चीख़ती है मेरे दिल की ख़ामोशी ,
तन्हाई में ख़ामोशी अच्छी है कहते अनेक है |
रोये थे कभी उसकी याद में अकेले बैठकर,
आँखे मेरी लाल है कहते अनेक है |
***
मुझे अपनी जान बना लो, अपना अहसास बना लो,
मुझे अपने अल्फाज़ बना लो, अपने दिल की आवाज़ बना लो,
बसा लो अपनी आँखों में मुझे अपना ख़्वाब बना लो,
मुझे छुपा लो सारी दुनिया से अपना एक गहरा राज बना लो
आज बन जाओ मेरी मोहब्बत और मुझे अपना प्यार बना लो….
***
जो तुमसे दूर चला गया हैं, उसके लिए क्यों आँसू बहाना
जो अतीत का पन्ना हैं, उसके लिए क्यों अपना वर्तमान गवाना,
जो जब वो बेगाना हैं, उसके लिए क्यों खुद को दिन रात रुलाना,
पर अब वो किसी और के संग हैं, अब वो किसी और की दिल की उमंग हैं
तुम्हारी अच्छाई बहुत अच्छी लगती हैं,
तुम्हारी बुराई बहुत बुरी लगती हैं,
तुम्हारे सौ झूट के आगे हमें तुम्हारी एक बात सच्ची लगाती हैं.
तुम एक बार माफ़ी मांगो,
हम अपने आंसू भुला देते हैं,
दूसरी बार मांगो तो तुम्हारे संग चले आते हैं
हमारी खुद की बाते हमें गलत लगाती हैं,
तुम्हारी सौ गलत बातें भी आंखिर हमें अच्छी लगाती हैं,
तुमसे बिछड कर जीने के लिए जिंदगी कब तैयार हुई
,सिर्फ़ जुदा होने के ख्याल से आँखे नाम हो जाती हैं.
********“दिल की चाहत”****
मेरे दिल की चाहत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
मेरी ज़रूरत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
तुमने तो मुझे कबका भुला दिया,
मेरी आदत कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
तुमने न जाना कितना तुमको प्यार किया,
मेरी इबादत कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
बेखबर बनते हो, खबर हो के भी ,
मेरी किस्मत, कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
******“तन्हाई”*****
सदिया गुजर गयी किसी को अपना बनाने में,
मगर एक पल भी न लगा उन्हें हमसे दूर जाने में…
लोगो की साजिशों का रंग उनपे ऐसा छाने लगा,
के उसके बाद तो हम उन्हें अपने दुश्मन नज़र आने लगे….
हम फिर भी हस्ते रहे उनके जुल्मों को सह कर भी,
धीरे धीरे उनके सितम सह कर हमें मजा आने लगा……..
जब थक गए हमारी रूह तक को तड़पा कर वों,
तब वो धीरे धीरे हमसे दूर जाने लगे……
ये गम तन्हाई दर्द और यादोँ के साये,
ये सब तोहफ़ा हमनें उनसें ही है पाए….
मेरी ग़लती सिर्फ़ इतनी सी थी के मैं वफ़ादार निकला,
जितने दिल से की उनकी मोहब्बत में उतना ही बड़ा गुन्हेगार निकला….
*******“तेरा वजूद”(****
मैं तो भूल ही गया था तेरे वजूद को ,
पर यह कमबख्त HAWAYAIN तेरी खुशबू फिर लेती आई |
अब जब तेरा जिक्र हो ही गया है
तो सोचता हूं कुछ बोल ही दूं,
अपने दिल से तेरे वजूद के बारे में ,
पर डर लगता है अगर इसे एहसास हो गया
तेरे वजूद का तो खुद को भुला बैठे गा
और खो जाएगा उन सितारों की गलियों में जहां कभी तुम चांद थे
माना तेरा मेरा रिश्ता कुछ खास ना था
फिर क्यों यह दिल तुझे हर एहसासों में पाता है |
क्यों तेरी याद मैं ,मुझे खालीपन भी सुकून दे जाता है |
कैसे रोकूँ धड़कनों को और अंजानी सांसो को,
तेरी खामोशी और कुछ अधूरी मुलाकातों को |
अब सोचता हूं छोड़ दूं भुलाना तेरे वजूद को ,
क्योंकि तेरे होने का एहसास ही मेरे वजूद के लिए काफी है |
फिर मिल जा उन सर्द रातों में जब LAB खामोश थे
क्योंकि खामोशियों की कहानी अभी बाकी है |
फिर तुम मिल उन गलियों में जहां तेरा वजूद ही मेरा वजूद है|
*****
“दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है”
“हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत
अच्छे कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और”
“हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले”
“न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता,
डुबोया मुझको होनी ने, न होता मैं तो क्या होता?”
***********
वादे पे वो ऐतबार नहीं करते,
हम जिक्र मौहब्बत सरे बाजार नहीं करते,
डरता है दिल उनकी रुसवाई से,
और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते।
इस दिल को किसी की आहट की आस रहती है,
निगाह को किसी सूरत की प्यास रहती है,
तेरे बिना जिन्दगी में कोई कमी तो नही,
फिर भी तेरे बिना जिन्दगी उदास रहती है॥
***
मोहबत को जो निभाते हैं
उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं
उनको, हुमारा ये पेघाम हैं,
“वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
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