qawwali muqabla

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f-

वो दीवाना कमाल  करता है
अपनी आखो को लाल करता है
खुद की परवाह नहीं है उसको पर 
मेरे कितना ख्याल करता है

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m-अपने अहसास से छूकर तुझे संदल कर दू
इस कदर टूटकर चहु तुझे, पागल कर दू
तेरे  चेहरे  से  मिटा  दू इलजाम ए हया
आ मेरी जान तेरी  हुस्न मुकमल कर दू

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f-आंख में जो आंसू है कौन इसका सानी है
थम गया तो मोती है और बाह गया तो पानी है
आज देखना ये है किस्मे कितना पानी है
उस तरफ मोहबत है और इस तरफ जवानी है

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m-तुम्हारी शायरी में इतनी मुस्कान नहीं है
क्योंकि इस  अल्फाज में  कोई जान नहीं है
और तुमसे मेरी शादी नहीं हुइ तो कोई बात नहीं है
ए जानम साली अगर बन जाओ तो कोई नुकसान नहीं है

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m-ये जवानी भी क्या जवानी है
जैसे दिली की राजधानी है
ए हजारो दुब गए इस हुस्न की समंदर में
पता लगा नहीं इसमें कितना पानी है

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m-दिल लगाया था दिलगी से दिल्ली चली गयी
मैंने दिली गया तो वहां से भी चली गयी
मैंने सोचा आत्म हत्या कर लू
मैंने लगाया हाथ बिजली के तारो को तो बिजली bhi
चली गयी

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 f- आशिक  मरते नहीं जिन्दा दफनाये जाते है 
कबर खोद के देखिये चांदनी की याद में तड़पते पाए जाते है

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m-शाम उदास होगी सुबह भी उदास होगी 
सफ़ेद चादर में लिपटी मेरी लाश होगी 
ए दफ़नाने वालो ,ए दफ़नाने वालो मुझे उस जगह पर दफनाना 
जहा चांदनी  से रोज मेरी मुलाकात होगी 

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m-चांदनी रात होती और दरिया का किनारा होता 
अगर तुम मेरे साथ होती तो जीने का सहारा होता 

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f-दिल हरेक को दिया नहीं जाता 
प्यार सबसे किया नहीं जाता 
चार दमन तो सील भी सकते है 
जखम दिल के सिया नहीं जाता 

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