मंगलवार, 9 जुलाई 2019

What is life Hindi poems



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Life is the aspect of existence that processes, acts, reacts, evaluates, and evolves through growth (reproduction and metabolism). The crucial difference between life and non-life (or non-living things) is that life uses energy for physical and conscious development....
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कौन हू मै, जिन्दगी है कौन,

जिस्म को सुकून नहीं ,परछाई है मौन.
सायद, कवी हु, शब्दों की माला पिरोता हु,
कलम के सहारे चलता हु ,
किताबो पर सर रखकर सोता हो
इच्छाएं दिल की चौखट को नहीं लाँघ रही है,
चाहत की एक चिड़िया,
रस्मो की पिजरे से आज़ादी मांग रही है.
कैची सी तीखी है लोगो की जुबाने यहाँ,
इन्ही के सहारे जिंदगी कट रही है
जिस्म छलनी होता जा रहा है
ये परछाई भी फट रही है ,
किस्से करू शिकायत तेरी ऐ जिंदगी ,
हालातो को करू मैसेज या वक्त को लगाऊ फोन ,
कौन हू मै, जिन्दगी है कौन,
जिस्म को सुकून नहीं ,परछाई है मौन.
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अध्यायों में बांटा है जीवन का उपनयास.

प्यास थी शुरुआत में और अंत में भी है प्यास.

बचपन में जवान होने की चाहत थी,

जवानी में, फिर बच्चा बनने की दुआ करते है |
डर जवानी से नहीं, जवानी के बीत जाने से लगता है,
लोग चारपाई पर बैठे एक बुढ़ापे से डरते है.

लुका छुपी खेलते-खेलते बचपन गुजरता है ,
जवानी दौड़ती रहती है डिग्री लेने की ओढ़ में,
उस बहिलचैर पर बहुत तरस आता है,
जो बहुत धीरे-धीरे चलता है, पेंशन की दौड़ में.

बचपन की कहानियाँ आँख मलती है,

और जवानी, हकीकत को याद करती है,
पैसठ की उम्र बड़ी फुर्सत में रहती है.
ये अक्सर, अस्पताल की जर्जर दीवारों से बात करती है.

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कौन वक्त बर्बाद करेगा अपना,
मेरे जिंदगी की किताब पढ़ने में.
मै तो खुद सुबह से शाम कर देता हु,
जिंदगी के फलसफे पलटने में.
जवानी में जी रहा हु, बड़ा हसीन है ये दौर,
घरिया गुजर रही है यहाँ वहां भटकने में.

सोचता हु इस दौर से कही बचपन ही अच्छा था

क्षण भर में वो क्षण बीत गया ,जब मैं बच्चा था.

मुठी में रेत की जैसे गुजर रही है जिंदगी,

एक वक्त वह भी आएगा,जब दर्द रहेगा घुटनो में.
कौन वक्त बर्बाद करेगा अपना,
मेरे जिंदगी की किताब पढ़ने में.

for more comment me....

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